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February 9, 2016

कभी शब्दो में, कभी दीवारों पर -मेरी कानूनी मोहब्बत

कभी शब्दो में, कभी दीवारों पर
उकेरा है तुझे Preamble की तरह 
क्या सुनाऊ जो बाकी रह गया
हर पल बिता है जेसे Constitution बनाने की तरह  
रात भी गुजरी है तो कुछ ख़्वाब लेकर
जब जब उठे है नींद से तुझे कोसा है तारीख पे तारीख की तरह
फिर भी तू हमेशा नकारता रहा मुझे
दोषी हो के भी, हेडली  की तरह
 
कभी शब्दो में, कभी दीवारों पर .....
हर पल गुजर गया, तेरे बयान  इंतज़ार में
बिन तेरे मेरा Judgement लटक गया अंधेरों में
पता आज चला हमे, क्यू हर Case इतना लंबा खिच गया
ए दोष ना दे Judiciary को
जब Respondent जवाब देने ही नही आया तो, Case वेसे ही लंबा खींच गया..
ये हालत तो बरसो से है, मुझे तो LAW पढ़ने पर खयाल आया
आधा भारत तो इन्ही Case में लिपट गया
क्या करे वकील बेचारे, जब इनका नाम ही खराब कर दिया
कभी Intern के नाम पे तो कभी Juvenile का धब्बा लग गया
 
कभी शब्दो में, कभी दीवारों पर .....
कुछ अब भी समज़ से परे है
जिसका नाम मेने दीवारों पे लिखा वो कहा खो गया
ढुढ्ने तो उसको निकला हु,पर LAW ने मुझे रोक दिया
पता चला यहा हर शब्द का WIDE रूप होता है
कभी Keshvanand तो कभी कोई ओर तैयार रहता है
पता नही मेरे इन लफ्जो मे भी कुछ निकाल ले
मेने तो उसके लिए लिखे है, फिर भी कोई Defemation का कागज लेके आ जाए
क्या करूंगा में ??? ये प्यार मुझे कही बिन Laila के मजनू  ना बना जाए
 विश्राम देता हु शब्दो को, मुझे कछहरी से दूर रखना
Lawyer बनने जा रहा....!
अजनबी  Lover तो पहले से ही है, बस अब ये Case जीतना है  !
---------- ------------------------For My Shr..-----------------------------------------------------

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June 14, 2015

हंसी याद आयीं..

कल पल भर के लिए
तेरी हंसी ज़वा हो उठी ।
अकेला था पुरानी 'गलियों' में
जहा तू कभी कुछ कह ना सकी
अपनी हंसी अजनबी से छिपा ना सकी।

फिर भी तेरी बात वो बदरा आज कह बैठी।
तेरी यादो में मुझे खंगाल बैठी

यू कदम वही रूक गए
कुछ यादों में खो गए
छत खोजते - खोजते
दो पल रूह वर्षा में  पनाह ले बैठी
तेरी हंसी जीवीत कर मुझे फंसा बैठी।

-अरविन्द 

May 25, 2015

तुम कुछ कहो तो सही....

यु रोज क्यो मुह फेर लेती हो
कभी कुछ कहो तो सही...

मेँने कितने दर्द सहे हैँ
कभी हाल पुछो तो सही
भले ही मुझ पर इल्जाम लगा दो
पर गुनहगार कहो तो सही...

कितना "अवि" आशिक बन फिरा हैँ तुम्हारा
नही जानती कौन हैँ?
जरा "अजनबी" कहो तो सही
कितनी दिवानगी हैँ तुम्हारी
झुठा हैँ! पर कभी आवारा कहो तो सही,..

शायद! तुम्हे किसी ओर से प्यार हैँ
कभी स्वीकारो तो सही
यु ही तङपाती हो जालिम कहकर
कभी प्यार से बुलाकर देखो तो सही...

इतना बुरा ना हैँ "अवि"
कभी दिल मेँ उतर के देखो तो सही
या कोई बात और हैँ
पर कभी कहो तो सही
दुनिया को नही बताना चाहती
पर मुझे कहो तो सही
अब दिन ना बचे हैँ ज्यादा
स्वीकारोँ या दिल तोङो तो सही
फिर पछताओगी "श्र++"
दुनिया को दर्द बताओगी
दिन मेँ सपने जगाओगी...

क्या?? रह जाएगा जो तुम कहोगी
अब समय हैँ "अवि" से कुछ कहो तो सही
नकार ही दो ! पर दिल से नकारो तो सही
कुछ कहो तो सही...
बस तुम कुछ कहो तो सही....

May 24, 2015

... मुझे मिला हैं कोई

आज मुझे  मिला हैं कोई...
नफरत कि दुनिया में,
मुझे मेरे जेसा मिला हैं कोई

यु ही में तेरे से मोहब्बत करता रहा
मुझसे मोहब्बत करने वाला मिला हैं कोई
फर्क थोङा सा जुदा है उसका
बस मुझसे ज्यादा चाहने वाला मिला हैं कोई

चेहरे की चमक तो तेरी हैं
फिर भी तुझसे ज्यादा रोशनी देने वाला मिला हैं कोई
हँसी तो रोज तेरी निकलती हैं
पर अब मुझे हँसाने वाला मिला हैं कोई

अब तेरी जरूरत नही मुझे
मेरा दर्द समझने वाला मिला हैं कोई
अब कोन करेगा आशिकी तुमसे ??
आशिक "अवि "को छीन रहा हैं कोई

जिंदा हू क्योकी मुझे मिला हैं कोई
अब मेरा खयाल रखता हैं कोई
जान से भी ज्यादा मुझे चाहता हैं कोई
फिर केसे किसी को नकार दू
तेरे जेसा गुनाह कर दू
तुझसे हटकर मिला हैं कोई
शायद अब तेरी जगह ले रहा है  कोई
तेरी पहचान तुझे सौप रहा हैं कोई

इसमें मेरा ना है कसुर कोई
बस तुझे इतिहास याद दिला रहा हैं कोई
तुझे देखने वाली खिङकी बंद करवा रहा है कोई
तेरी जगह ले रहा हैं कोई.....
तेरे से हटकर मिला हैं कोई....
मुझसें ईश्क करने वाला मिला हैं कोई...,
सपनो का हकदार आया है कोई....।

जरा देख तो सही
तुझे देखने वाले को मिलने आया हैं कोई...।।

--अरविन्द अजनबी
   S...... agent

उनकी सजा ....

आज वो हमारा इंतजार करते रहे
रह रह कर गम छुपाते रहे...
हम जाए तो जाए केसे
वर्षों पुरानी उनकी सजा जो भुगत रहे....

May 23, 2015

तुझे भी यू कहना होगा.,,

उगा हैं सुरज उसे ढलना होगा
अब भी रात बाकी हैं, तुझे कुछ कहना होगा ।

चाहे चाहत मेरी थी, मुझे ये मानना होगा
गलती तुने की थी ,ये भार भी मुझे ओढना होगा ।
आज नही तो कल, ये जख़म तुझे भरना होगा
मोहब्बत "अवि" ने नही ,
तुने की
ये राज दुनिया को दिखाना होगा ।

मुकर गई तुम , गुमान कर शाहे शरीर का
शायद ! तुझे अब पता  चला होगा
मिट्टी के इस बर्तन को ,मिट्टी मे मिलना होगा
तुझे भी ये कहना होगा......

 आज नही तो कल , तुझे खाक होना होगा


May 16, 2015

वाह रे खुदा.....!

वाह रे खुदा........ 
केसी ये जिन्दगी बनाई, 
 कल रात मुझे एक सपना आया,
 बिछङा हुआ चेहरा पलको मेँ आया, 
कुछ उलट था अतीत, या वो पलट गया । 
सब कुछ बस बंद नयनो मेँ देखता गया । 
 वो रात फिर से अपनी आयी,
 आज बिना देखे कोई करामात छायी ,
 वाह रे खुदा........ केसी ये जिन्दगी बनाई,

 जिसे हम कब के भुल गए,
 वो केसे याद आई,
 जिसने कभी हमको नजरोँ से देखा नही ,
 वो केसे मुस्करा के पास आई । 
वाह रे खुदा........ केसी ये जिन्दगी बनाई, 

 जब कमी थी किसी की कोई ना आया, 
अब ये कोनसा तोहफो का पैगाम लाया, 
जब रात ना कटती तब कोई सपना भी न आया
फिर आज भरी नीँद मेँ कहा से आया, 
वाह रे खुदा........ केसी ये जिन्दगी बनाई।

 इजहार का हौसला न था, 
शायद तुझे तो ये पता था, 
फिर भी ये खेल तेरा हैँ, पर अब ये समय मेरा हैँ, 
मजबुर हू कुछ कह नही सकता,
 फिर भी वो मेरा हो ...,... ।
 वाह रे खुदा........
 इससे ज्यादा और क्या दर्द दे सकता हैँ, 
अब और "अजनबी" तेरे लिए कितना भटक सकता हैँ ।  

वाह रे खुदा........ 
केसी ये जिन्दगी बनाई, क्या खुद के लिए भी यही कहानी बनाई? -Shr.... अजनबी