कभी शब्दो में, कभी दीवारों पर
उकेरा है तुझे Preamble की तरह
क्या सुनाऊ जो बाकी रह गया
हर पल बिता है जेसे Constitution बनाने की तरह
रात भी गुजरी है तो कुछ ख़्वाब लेकर
जब जब उठे है नींद से तुझे कोसा है तारीख पे तारीख की तरह
फिर भी तू हमेशा नकारता रहा मुझे
दोषी हो के भी, हेडली की तरह
कभी शब्दो में, कभी दीवारों पर .....
हर पल गुजर गया, तेरे बयान इंतज़ार में
बिन तेरे मेरा Judgement लटक गया अंधेरों में
पता आज चला हमे, क्यू हर Case इतना लंबा खिच गया
ए दोष ना दे Judiciary को
जब Respondent जवाब देने ही नही आया तो, Case वेसे ही लंबा खींच गया..
ये हालत तो बरसो से है, मुझे तो LAW पढ़ने पर खयाल आया
आधा भारत तो इन्ही Case में लिपट गया
क्या करे वकील बेचारे, जब इनका नाम ही खराब कर दिया
कभी Intern के नाम पे तो कभी Juvenile का धब्बा लग गया
कभी शब्दो में, कभी दीवारों पर .....
कुछ अब भी समज़ से परे है
जिसका नाम मेने दीवारों पे लिखा वो कहा खो गया
ढुढ्ने तो उसको निकला हु,पर LAW ने मुझे रोक दिया
पता चला यहा हर शब्द का WIDE रूप होता है
कभी Keshvanand तो कभी कोई ओर तैयार रहता है
पता नही मेरे इन लफ्जो मे भी कुछ निकाल ले
मेने तो उसके लिए लिखे है, फिर भी कोई Defemation का कागज लेके आ जाए
क्या करूंगा में ??? ये प्यार मुझे कही बिन Laila के मजनू ना बना जाए
विश्राम देता हु शब्दो को, मुझे कछहरी से दूर रखना
Lawyer बनने जा रहा....!
अजनबी Lover तो पहले से ही है, बस अब ये Case जीतना है !
---------- ------------------------For My Shr..-----------------------------------------------------
.
उकेरा है तुझे Preamble की तरह
क्या सुनाऊ जो बाकी रह गया
हर पल बिता है जेसे Constitution बनाने की तरह
रात भी गुजरी है तो कुछ ख़्वाब लेकर
जब जब उठे है नींद से तुझे कोसा है तारीख पे तारीख की तरह
फिर भी तू हमेशा नकारता रहा मुझे
दोषी हो के भी, हेडली की तरह
कभी शब्दो में, कभी दीवारों पर .....
हर पल गुजर गया, तेरे बयान इंतज़ार में
बिन तेरे मेरा Judgement लटक गया अंधेरों में
पता आज चला हमे, क्यू हर Case इतना लंबा खिच गया
ए दोष ना दे Judiciary को
जब Respondent जवाब देने ही नही आया तो, Case वेसे ही लंबा खींच गया..
ये हालत तो बरसो से है, मुझे तो LAW पढ़ने पर खयाल आया
आधा भारत तो इन्ही Case में लिपट गया
क्या करे वकील बेचारे, जब इनका नाम ही खराब कर दिया
कभी Intern के नाम पे तो कभी Juvenile का धब्बा लग गया
कभी शब्दो में, कभी दीवारों पर .....
कुछ अब भी समज़ से परे है
जिसका नाम मेने दीवारों पे लिखा वो कहा खो गया
ढुढ्ने तो उसको निकला हु,पर LAW ने मुझे रोक दिया
पता चला यहा हर शब्द का WIDE रूप होता है
कभी Keshvanand तो कभी कोई ओर तैयार रहता है
पता नही मेरे इन लफ्जो मे भी कुछ निकाल ले
मेने तो उसके लिए लिखे है, फिर भी कोई Defemation का कागज लेके आ जाए
क्या करूंगा में ??? ये प्यार मुझे कही बिन Laila के मजनू ना बना जाए
विश्राम देता हु शब्दो को, मुझे कछहरी से दूर रखना
Lawyer बनने जा रहा....!
अजनबी Lover तो पहले से ही है, बस अब ये Case जीतना है !
---------- ------------------------For My Shr..-----------------------------------------------------
.
No comments:
Post a Comment