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May 16, 2015

वाह रे खुदा.....!

वाह रे खुदा........ 
केसी ये जिन्दगी बनाई, 
 कल रात मुझे एक सपना आया,
 बिछङा हुआ चेहरा पलको मेँ आया, 
कुछ उलट था अतीत, या वो पलट गया । 
सब कुछ बस बंद नयनो मेँ देखता गया । 
 वो रात फिर से अपनी आयी,
 आज बिना देखे कोई करामात छायी ,
 वाह रे खुदा........ केसी ये जिन्दगी बनाई,

 जिसे हम कब के भुल गए,
 वो केसे याद आई,
 जिसने कभी हमको नजरोँ से देखा नही ,
 वो केसे मुस्करा के पास आई । 
वाह रे खुदा........ केसी ये जिन्दगी बनाई, 

 जब कमी थी किसी की कोई ना आया, 
अब ये कोनसा तोहफो का पैगाम लाया, 
जब रात ना कटती तब कोई सपना भी न आया
फिर आज भरी नीँद मेँ कहा से आया, 
वाह रे खुदा........ केसी ये जिन्दगी बनाई।

 इजहार का हौसला न था, 
शायद तुझे तो ये पता था, 
फिर भी ये खेल तेरा हैँ, पर अब ये समय मेरा हैँ, 
मजबुर हू कुछ कह नही सकता,
 फिर भी वो मेरा हो ...,... ।
 वाह रे खुदा........
 इससे ज्यादा और क्या दर्द दे सकता हैँ, 
अब और "अजनबी" तेरे लिए कितना भटक सकता हैँ ।  

वाह रे खुदा........ 
केसी ये जिन्दगी बनाई, क्या खुद के लिए भी यही कहानी बनाई? -Shr.... अजनबी

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