उगा हैं सुरज उसे ढलना होगा
अब भी रात बाकी हैं, तुझे कुछ कहना होगा ।
चाहे चाहत मेरी थी, मुझे ये मानना होगा
गलती तुने की थी ,ये भार भी मुझे ओढना होगा ।
आज नही तो कल, ये जख़म तुझे भरना होगा
मोहब्बत "अवि" ने नही ,
तुने की
ये राज दुनिया को दिखाना होगा ।
मुकर गई तुम , गुमान कर शाहे शरीर का
शायद ! तुझे अब पता चला होगा
मिट्टी के इस बर्तन को ,मिट्टी मे मिलना होगा
तुझे भी ये कहना होगा......
आज नही तो कल , तुझे खाक होना होगा
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