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May 25, 2015

तुम कुछ कहो तो सही....

यु रोज क्यो मुह फेर लेती हो
कभी कुछ कहो तो सही...

मेँने कितने दर्द सहे हैँ
कभी हाल पुछो तो सही
भले ही मुझ पर इल्जाम लगा दो
पर गुनहगार कहो तो सही...

कितना "अवि" आशिक बन फिरा हैँ तुम्हारा
नही जानती कौन हैँ?
जरा "अजनबी" कहो तो सही
कितनी दिवानगी हैँ तुम्हारी
झुठा हैँ! पर कभी आवारा कहो तो सही,..

शायद! तुम्हे किसी ओर से प्यार हैँ
कभी स्वीकारो तो सही
यु ही तङपाती हो जालिम कहकर
कभी प्यार से बुलाकर देखो तो सही...

इतना बुरा ना हैँ "अवि"
कभी दिल मेँ उतर के देखो तो सही
या कोई बात और हैँ
पर कभी कहो तो सही
दुनिया को नही बताना चाहती
पर मुझे कहो तो सही
अब दिन ना बचे हैँ ज्यादा
स्वीकारोँ या दिल तोङो तो सही
फिर पछताओगी "श्र++"
दुनिया को दर्द बताओगी
दिन मेँ सपने जगाओगी...

क्या?? रह जाएगा जो तुम कहोगी
अब समय हैँ "अवि" से कुछ कहो तो सही
नकार ही दो ! पर दिल से नकारो तो सही
कुछ कहो तो सही...
बस तुम कुछ कहो तो सही....

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